प्रश्न- क्या कारण है कि स्टार्च आयोडाइड से भीगा पत्र क्लोरीन के गैस जार में ले जाने पर बैगनी हो जाता है ?
उत्तर-स्टार्च आयोडाइड से भीगे पत्र को क्लोरीन गैस के संपर्क में लाने पर आयोडीन उत्पन्न होती है, जो
स्टार्च की उपस्थिति से बैंगनी रंग उत्पन्न करती है, जिससे स्टार्च आयोडाइड से भीगे पत्र का रंग बैंगनी हो जाता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि लेड नाइट्रेट को गर्म करने पर पीली गैस प्राप्त होती है, परंतु अधिक गर्म करने पर यह ब्राउन गैस में परिवर्तित हो जाती है ?
उत्तर- जब लेड नाइट्रेट को गर्म करते हैं, तो पीले रंग की N2O4 गैस निकलती है परंतु अधिक गर्म करने पर N2O4 का विघटन SO2 गैस में हो जाता है जिसका रंग ब्राउन होता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि सफेद लैड की परत चढ़ाई हुई मूर्तियां वातावरण के संपर्क में काली पड़ जाती है, परंतु हाइड्रोजन पर-ऑक्साइड की क्रिया से मूर्तियों का पुनः सफेद रंग हो जाता है ?
उत्तर- सफेद लैड की परत चढ़ाई हुई मूर्तियां धीमे-धीमे वातावरण की H2S के संपर्क में आती है, जिससे सफेद लैड, काले रंग के लैड सल्फाइड में परिवर्तित हो जाता है। जिससे मूर्तियों का रंग काला हो जाता है। परंतु इन काली मूर्तियों पर H2O2 की क्रिया करते है तो लैड सल्फाइट ऑक्सीकृत होकर लैड सल्फेट में परिवर्तन हो जाता है, जिसका रंग सफेद होता है। अतः मूर्तियों का रंग सफेद हो जाता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि सोडियम को मिट्टी के तेल में रखते हैं ?
उत्तर- सोडियम धातु बहुत क्रियाशील होती है। अतः यह वातावरण की नम वायु से क्रिया करके इसके ऑक्साइड, हाइड्रोक्साइड तथा कार्बोनेट बनाते हैं। इसका संपर्क वातावरण की नम वायु से न हो, इसलिए इसे मिट्टी के तेल में रखा जाता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि जिंक का चूर्ण, जिंक की छीलन से अधिक क्रियाशील है ?
उत्तर- पदार्थ की क्रियाशीलता उसके क्षेत्रफल पर निर्भर करती है। रासायनिक क्रिया के समय पदार्थ का जितना अधिक तल संपर्क में होगा, उतनी ही अधिक गति रासायनिक क्रिया की होती है। अतः जिंक चूर्ण का तल, जिंक की छीलन से अधिक होता हैं। इसलिए जिंग चूर्ण, जिंक की छीलन से अधिक क्रियाशील होता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि लोहे की चद्दरो को गेलवेनाइज्ड किया जाता है ?
उत्तर- लोहे की चद्दरो को गेलवेनाइज्ड इसलिए किया जाता है जिससे वह जंग लगने से सुरक्षित रहे। वातावरण की नम हवा से लोहे की चद्दरो में जंग लग जाती है। अतः उन्हें गेलवेनाइज्ड करके एक हल्की परत जिंक की चढ़ा दी जाती है, जिससे वातावरण की नम हवा लोहे के चद्दरो से सीधे संपर्क में नहीं आ पाती और उनमें जंग नहीं लगती है।
प्रश्न- क्या कारण है कि पोटैशियम क्लोरेट के साथ ऑक्सीजन गैस तैयार करने के लिए मैंगनीज डाइऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर- मैंगनीज डाइऑक्साइड की उपस्थिति से पोटेशियम क्लोरेट आसानी से ऑक्सीजन गैस उत्पन्न करता है। यह उत्प्रेरक का कार्य करता है, जिससे रासायनिक क्रिया की गति बढ़ जाती है।
प्रश्न- क्या कारण है कि बेकिंग पाउडर में सोडियम बाई कार्बोनेट का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर- सोडियम बाई कार्बोनेट गर्म होने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करता है जिससे डबल रोटी आसानी से फूल जाती है। इसलिए सोडियम बाई कार्बोनेट का बेकिंग पाउडर में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि शुद्ध आयोडीन पानी की अपेक्षा कार्बन टेट्रा क्लोराइड में अधिक विलेय हैं ?
उत्तर- आयोडीन अपने बहुबन्ध गुण (Co-valent Character) के कारण पानी की अपेक्षा कार्बन टेट्रा क्लोराइड (CCl4) में अधिक विलेय हैं।
प्रश्न- क्या कारण है कि लाइमस्टोन, हेमेटाइट से पिग आयरन प्राप्त करने में प्रयोग होता है ?
उत्तर- लाइमस्टोन, हेमेटाइट से पिग आयरन प्राप्त करने के लिए इसलिए प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसके अपघटन से कली चूना (CaO) प्राप्त होता है जो कि सिलिका से संयोग करके कैल्शियम सिलीकेट (CaSiO2)बनाता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि पौधे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर सकते हैं, परंतु जानवर नहीं ?
उत्तर- पौधों के अंदर क्लोरोफिल नामक पदार्थ होता है, जो कि सूर्य की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को शुगर में परिवर्तित कर देता है, परंतु यह क्रिया जानवरों में क्लोरोफिल न होने से संभव नहीं होती है। इसलिए पौधे कार्बन डाइ ऑक्साइड का उपयोग कर सकते हैं, परंतु जानवर नहीं।
प्रश्न- क्या कारण है कि भीगे फूलों का रंग क्लोरीन के द्वारा स्थाई रूप से उड़ जाता है, परंतु सल्फर डाइऑक्साइड द्वारा विरंजन अस्थाई होता है ?
उत्तर- सल्फर डाइऑक्साइड भीगे फूलों का रंग अवकरण की क्रिया द्वारा उड़ाती है। अतः धीरे धीरे पुनः हवा द्वारा फूलों का ऑक्सीकरण होकर अपना रंग ग्रहण कर लेते हैं, परंतु क्लोरीन भीगे फूलों का रंग ऑक्सीकरण की क्रिया द्वारा उड़ाती है। अतः विरंजन स्थाई होता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि पानी का वैद्युत विश्लेषण करने से पहले उसमें कुछ मात्रा अम्ल या क्षार की मिलाई जाती है ?
उत्तर- शुद्ध पानी विद्युत का कुचालक है। अतः पानी को सुचालक बनाने के लिए उसमें कुछ मात्रा अम्ल या क्षार की वैद्युत विश्लेषण करने से पहले मिलाई जाती है।
प्रश्न- KMnO4 का तुल्यांकी भार (Equivalent weight) अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में भिन्न क्यों होता है ?
उत्तर- KMnO4 की अभिक्रिया समीकरण अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में भिन्न होती है, इसलिए Mn की ऑक्सीकरण संख्या की कमी अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में भिन्न भिन्न होती है, इसलिए तुल्यांकी भार भिन्न होता है।
इसके अतिरिक्त KMnO4 का एक अणु अम्लीय माध्यम में क्षारीय माध्यम से भिन्न संख्या में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, इसलिए इसका तुल्यांकी भार भिन्न होता है।
प्रश्न- क्या कारण है कि विद्युत संयोजक यौगिक विद्युत के सुचालक होते हैं जबकि सह-संयोजक यौगिक कुचालक होते हैं ?
उत्तर- विद्युत संयोजक यौगिक जल में घुलकर आवेशित आयन देते हैं जो विद्युत का चालन करते हैं। गलित अवस्था में भी ये आयनों के रूप में विभक्त होते हैं, इसलिए इस अवस्था में ये विद्युत के सुचालक होते हैं। सह-संयोजक यौगिक घोल में अथवा अपनी गलित अवस्था में आयन नहीं दे पाते हैं। अतः वह विद्युत के कुचालक होते हैं।
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