योजक कड़ी (Connecting links in hindi)



योजक कड़ियाँ विशेष रूप से जीवित जीवधारियों से  संबंधित हैं जो जीवों के दो अलग अलग समूहों की विशेषता को लिए हुए होते है। ऐसे जंतु जिनमे दो समूहों के लाक्षणिक गुण उपस्थित हो, योजक कड़ी कहलाते हैं। 

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योजक कड़ी क्या है?
स्रोत- Aleksandra Ostojic

पर्याप्त प्रमाण के आधार पर अब यह सिद्ध कर दिया गया है कि आधुनिक जन्तु जगत का निर्माण किसी दिव्य शक्ति के द्वारा अचानक नही हुआ था। उद्विकास के सिद्धांत के अनुसार आजकल के पादप एवं जन्तु प्रारम्भ से जमीन पर रहने वाले सबसे साधारण जीवों से लंबे किन्तु लगातर क्रमिक परिवर्तन प्रक्रिया से उत्पादित हुए है। इनमे से कई पादप व जन्तु प्राचीन एवं आधुनिक जीवों की क्रमिक एवं निरंतर कड़ी को प्रस्तुत करते है। जिन्हें योजक कड़ी कहा जाता है। 
योजक कड़ी के अधिकतर जीव अपने आप को वातावरण के  अनुकूल ना बना पाने के कारण विलुप्त हो चुके है एवं इनके जीवाश्म एवं वंश के कुछ सदस्य ही शेष है। 

1. सजीव एवं निर्जीव  – वायरस
2. वायरस तथा बैक्टीरिया – रिकेटसिआ
3. बैक्टीरिया तथा फ़न्जाई – एक्टीनोमाइसिटिज
4. प्रोटिस्टा तथा फ़न्जाई – मिक्सोमाइसिटिज
5. प्रोटिस्टा तथा ब्रायोफाइटा – हॉर्नवर्ट्स (मॉस)
6. ब्रायोफाइटा तथा टेरिडोफाइटा – क्लब मॉस
7. टेरिडोफाइटा तथा अनावृत्तबीजी –साइकस
8. अनावृत्तबीजी तथा आवृत्तबीजी – नीटम; Gnetum (ज़िम्नोस्पर्म)
9. पादप एवं जन्तु जगत – युग्लिना
10. प्रोटोजोआ तथा मेटाजोआ – जिनोटरबेला तथा निमेटोडर्म (चपटे कृमि ; Flat worm)
11. प्रोटोजोआ तथा पोरिफेरा  – प्रोटेरोस्पंज (Proterospongia)
12. सीलेन्ट्रेटा तथा प्लेटीहैल्मिन्थिज – टिनोफोरा
13. एनेलिडा तथा मॉलस्का – नियोपाइलीना (मॉलस्का)
14. आर्थोपोड़ा तथा एनेलिडा – पेरिपेटस (चलन कृमि; Walking worm)
15. इकाइनोडर्म तथा कॉर्डेटा – बेलेनोग्लॉसस (हेमी- कॉर्डेटा)
16. प्रोटो–कॉर्डेटा तथा वर्टीब्रेटा – इंकटोजॉन (Ainktozoan)
17. मछलियां तथा स्थल वर्टीब्रेटा – सीलाकेंथ (Coelacanth)
18. अस्थिल तथा उपास्थिल मछलियां – काइमेरा
19. मछली तथा टेट्रापोड़ा – लेटिमेरिया (उभयचर)
20. उभयचर तथा सरीसृप – स्फीनोडॉन (जीवित जीवाश्म मछली)
21. सरीसृप तथा पक्षी (Aves) – आर्कियोप्टेरिक्स (विलुप्त पक्षी)
22. सरीसृप तथा स्तनधारी – आर्नीथोरिंकस (डक बिल प्लेटीपस), कंटीला चींटीखोर (Spiny Ant eater)

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