सूक्ष्मदर्शिता (Gk. Micros = सूक्ष्म; Skopein = देखना) यह सूक्ष्म वस्तु जैसे कोशिकाओं तथा ऊतकों के अतिसूक्ष्म वर्णन के अध्ययन में प्रयुक्त होने वाले सूक्ष्मदर्शी का अभ्यास हैं।
सूक्ष्मदर्शी वह उपकरण है जो लेंस (काँच, लिथियम फ्लोराइड, विद्युत चुम्बकीय लेंस) से मिलकर बना होता है। इसके द्वारा सूक्ष्म वस्तु, जिन्हें नग्न आँखों से नही देखा जा सकता उनका आवर्धन एवं विभेदन कर अध्ययन किया जाता हैं।
सूक्ष्मदर्शी शब्द फेबर ने 1625 में दिया।
सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन अभिदृश्यक (Objective) लेंस की आवर्धन क्षमता तथा नेत्रिक (Ocular/Eye piece) लेंस के गुणन के बराबर होता हैं।
उदाहरण - यदि एक दृश्यक लेंस की आवर्धन क्षमता 10X तथा अभिदृश्यक लेंस की 40X हैं तब एक सूक्ष्मदर्शी की कुल आवर्धित क्षमता 10×40 = 400X होगी। (सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता को ‛X’ संकेत द्वारा प्रदर्शित करते है)
इसके मान की गणना निम्न समीकरण द्वारा की जाती हैं -
Lm = 0.61λ
NA
यहाँ, = प्रयुक्त किये गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है, NA = संख्यात्मक छिद्र (Numerical Aperture), (NA = n sinθ)
संख्यात्मक छिद्र माध्यम (n) तथा sinθ के अपवर्तनांक (Refrective index) का गुणज होता है, जो कि प्रकाशीय अक्ष (Optical axis) तथा बाह्य किरणों द्वारा बनाये गए कोण का संकेत है।
सबसे अच्छे अभिदृश्यक मान के लिए sin 70° = 0.94 होता है।
प्रकाश सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता .2µm से .4 µm (नीले प्रकाश में) होती है।
मानव नेत्र की विभेदन क्षमता 100µm या माइक्रोन (0.1 mm) है, अर्थात् 100µm से कम दूरी पर रखे दो बिंदु हमारी आँखों से एक ही दिखाई देगें।
ल्यूवेनहॉक सूक्ष्मदर्शिता (Microscopy) के जनक है। 1672 में इन्होंने 270X आवर्धन क्षमता वाला सूक्ष्मदर्शी बनाया था।
सूक्ष्मदर्शी वह उपकरण है जो लेंस (काँच, लिथियम फ्लोराइड, विद्युत चुम्बकीय लेंस) से मिलकर बना होता है। इसके द्वारा सूक्ष्म वस्तु, जिन्हें नग्न आँखों से नही देखा जा सकता उनका आवर्धन एवं विभेदन कर अध्ययन किया जाता हैं।
सूक्ष्मदर्शी शब्द फेबर ने 1625 में दिया।
आवर्धन (Magnification) :
यह विस्तृतीकरण या दीर्घीकरण कोण या सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखे गए विषय (वास्तविक आकार) की आकृति का अनुपात होता है।
आवर्धन = उपकरण द्वारा देखी गयी वस्तु का परिमाण
नग्न नेत्र द्वारा देखी गयी वस्तु का परिमाण
सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन अभिदृश्यक (Objective) लेंस की आवर्धन क्षमता तथा नेत्रिक (Ocular/Eye piece) लेंस के गुणन के बराबर होता हैं।
उदाहरण - यदि एक दृश्यक लेंस की आवर्धन क्षमता 10X तथा अभिदृश्यक लेंस की 40X हैं तब एक सूक्ष्मदर्शी की कुल आवर्धित क्षमता 10×40 = 400X होगी। (सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता को ‛X’ संकेत द्वारा प्रदर्शित करते है)
विभेदन क्षमता (Resolving power) :
किसी यंत्र द्वारा दो समीपस्थ स्थित वस्तुओं की विस्तृत सरंचना को स्पष्ट कर सकने की सामर्थ्य को विभेदन क्षमता कहते हैं।इसके मान की गणना निम्न समीकरण द्वारा की जाती हैं -
Lm = 0.61λ
NA
यहाँ, = प्रयुक्त किये गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है, NA = संख्यात्मक छिद्र (Numerical Aperture), (NA = n sinθ)
संख्यात्मक छिद्र माध्यम (n) तथा sinθ के अपवर्तनांक (Refrective index) का गुणज होता है, जो कि प्रकाशीय अक्ष (Optical axis) तथा बाह्य किरणों द्वारा बनाये गए कोण का संकेत है।
सबसे अच्छे अभिदृश्यक मान के लिए sin 70° = 0.94 होता है।
प्रकाश सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता .2µm से .4 µm (नीले प्रकाश में) होती है।
मानव नेत्र की विभेदन क्षमता 100µm या माइक्रोन (0.1 mm) है, अर्थात् 100µm से कम दूरी पर रखे दो बिंदु हमारी आँखों से एक ही दिखाई देगें।
ल्यूवेनहॉक सूक्ष्मदर्शिता (Microscopy) के जनक है। 1672 में इन्होंने 270X आवर्धन क्षमता वाला सूक्ष्मदर्शी बनाया था।
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