बीवर (Beaver)

बीवर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा कुतरने वाला (rodent) स्तनधारी जानवर है (विश्व में दूसरा)। यह चूहे और गिलहरी का निकटवर्ती है परंतु आकार में उससे काफ़ी बड़ा होता है। 

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बीवर

  • इसके शरीर की लम्बाई 80 cm से 1m, पूँछ की लम्बाई 30cm से 35cm तथा वजन 21-30 किग्रा होता है। 

  • यह प्रायः पानी के किनारे जहाँ घने वृक्ष हो,रहता है। कीमती फर (fur) और स्वादिष्ट माँस के लिए इसका शिकार किया जाता है। 

  • बीवर प्राणी जगत का एक कुशल इंजीनियर कहलाता है। यह बाँध और खाइयों से घिरे घर बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इसका कार्य अन्य सभी जन्तुओं के कार्यों से पेचीदा और आश्चर्यजनक है। 
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बीवरों के द्वारा बनाया गया बाँध एवं घर। 

  • ये मोटे से मोटे वृक्ष को बड़ी तेजी से काट ड़ालते हैं।  परंतु बाँध बनाने के लिए प्रायः छोटे 15-20 cm व्यास के वृक्ष ही चुनते हैं। बाँध बनाने के लिए बीवरो का पूरा दल कार्य करता है। 15 सेमी व्यास के किसी वृक्ष को बीवर अपने तेज दाँतो से केवल कुछ ही मिनटों में काटकर गिरा देता हैं और फिर केवल कुछ ही मिनटों में तने के डेढ़-दो मीटर के लट्ठे काटकर पानी में भी बहा देता है।  

  • बीवर बाँध बनाने के स्थान पर काफ़ी संख्या में वृक्षों के लट्ठे और टहनियां ड़ालते हैं, उसके ऊपर पत्थर और कीचड़ फेंकते हैं। परिणाम यह होता है कि पानी का तल काफी ऊपर उठ आता है, इस प्रकार एक बाँध का निर्माण होता हैं। 

  • बाँध बनाने के बाद संचित हुए पानी के बीच में बीवर पत्थर और कीचड़ गिरा कर एक ऊँचा टीला सा बना लेते हैं। यह टीला एक द्वीप की भाँति बन जाता है जिसके चारों ओर पानी होता है। 
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बीवर के बाँध बनाने का आलेख निरूपण। 

  • इस टीले या द्वीप के ऊपर व टहनियों और मिट्टी द्वारा घर या लॉज (lodge) बनाते है जो गुम्बदनुमा होता है। ऊपर की ओर यानी छत पर छेद या चिमनी होती है जिसके द्वारा घर में हवा आती जाती है। 
  • घर में खाद्य-सामग्री भी संचित रहती है, जो खराब मौसम होने या संकट के समय काम आती है। 

  • बीवर एक अच्छा तैराक हैं इसलिए आने जाने का रास्ता भी सुरंग की शक्ल का पानी के अंदर ही होता है। बीवर का घर या लाज पूर्णतया सुरक्षित होता है। शत्रुओं की इनको कोई चिंता नहीं होती। 

  • घर के चारों ओर पानी की खाई इनकी रक्षा करती है। कोई शत्रु पानी की खाई पार करने का साहस नहीं करता। 

  • बीवर बाँध और घर बन जाने के बाद भी शांत नहीं बैठते, बराबर काम में लगें रहते है, वृक्ष काट-काट कर बाँध के चारों ओर डालते रहते है। 

  • इंजीनियरों ने रॉकी पर्वतमाला में ऐसे बाँधों का उल्लेख भी क्या है जो लगभग चौथाई मील लम्बे थे यह बीवर की कई पीढ़ियों का काम था। पर्वतीय क्षेत्रों में बाँध बनाने वाले इंजीनियरों को इस बात पर बड़ा आश्चर्य है कि बांध बनाने के लिए वही स्थान सर्वोत्तम सिद्ध हुए जहाँ बीवरों ने बांध बनाये थे। 

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