भुगृही जलपंकचारी |
उथले जल में चल फिरकर अपना आहार ढूँढ़ने वाले पक्षियों को जलपंकचारी ( Waders) नाम दिया गया हैं परन्तु उनमें कुछ को पैर की पिछली उँगली विकसित या अर्द्ध विकसित रखे पाया जाता है अतएव उनका जीवन आहार के लिए भूमि पर भले ही व्यतीत हो, किन्तु बसेरा लेने तथा सन्तानोत्पादन धर्म, अण्डे-बच्चे के पोषण की पूर्ति के लिए वृक्षों पर आश्रय लेना पड़ता है। अतएव वृक्षगृही नाम दिया जाता है किन्तु भूमि पर ही अंडा देकर ही सन्तान उत्पन्न करने वाले पक्षी भुगृही जलपंकचारी (Ground nesting shorebird) ही कहलाते हैं। वृक्षों पर घोसले बनाने या बसेरा लेने की प्रवृत्ति उनमें नहीं होती। फलतः डालों पर बैठ सकने के लिए उनके पैर की पिछली उँगली निकम्मी ही हो सकती है। इन पक्षियों के बच्चे अण्डे से बाहर होते ही चलने-फिरने लगने की सामर्थ्य रखते हैं।
इन भूगृही जलपंकचारी पक्षियों के यों तो अनेक वंश है जो एक दूसरे से बिल्कुल ही विभिन्न होते हैं, परन्तु कुछ वंशों के पहचानने के लिए निम्न लक्षणों को ध्यान में रखा जा सकता है:―
बलाक पक्षी बड़े आकार के होते हैं जिनकी गर्दन बड़ी लम्बोतरी होती है। उनकी चोंच स्थूल, छोटी तथा नीचे की ओर झुकी होती है, पैरों में झिल्ली का बंधन ( अंगुलिजाल ) होता है।
सारस पक्षी(Crane) का आकार लम्बा और कृशकाय (ectomorph) होता है। उनकी चोंच सीधी किन्तु छोटी ही होती है। पैर की उँगलियों में झिल्लीबद्ध (अंगुलिजाल) नहीं होता, केवल बाहरी उँगलियों में छोटा अंगुलिजाल होता है।
जलकुकुट (water hen) का आकार मझोला या छोटा ही कहा जा सकता है। पंख और पूँछ छोटी होती हैं। अंगुलिजाल का सर्वथा अभाव होता है ।
जालांगुलिक पक्षी के पैर बहुत छोटे होते हैं। उँगलियाँ फंकनुमा अंगुलिजाल युक्त होती हैं। पूँछ यथेष्ट विकसित होती है ।
महासारंग (great indian bustard) का सिर और चंचु छोटे आकार का होता है। उनकी उँगलियाँ भी बहुत छोटी और केवल तीन होती हैं। इन पक्षियों को बड़े या मझोले आकार का समझना चाहिए।
किनारों पर के जलपंकचारी भूगृही पक्षी मझोले या छोटे आकार के पक्षी होते हैं। उनमें टिट्टिभ (plover) तथा पंखकीर (jack snipe) आदि की गिनती होती है। इनमें कोई समान लक्षण नहीं पाया जाता। टिट्टिभ को कबूतर सदृश चंचु, बड़े सिर और आँखयुक्त पाया जाता है। पंखकीट पक्षियों का सिर कबूतर की अपेक्षा छोटा होता है तथा आँखें और चोंच कबूतर से ही बड़ी नहीं, बल्कि प्रायः अत्यधिक लम्बी होती है।
पाष्णविक पक्षी ( stone curlew) का सिर बड़ा और आँख पीली होती है। चोंच स्थूल होती है। पैर में तीन छोटी उँगलियाँ ही होती है।
क्षिप्रचला (indian courser) तथा हापुत्री पक्षी टिट्टिभ की भाँति ही होते हैं। किन्तु उनका मुख कपाल से अधिक पीछे पहुँचा होता है।
जल कपोतों (Jacana) को भी एक पृथक वंश में रखा जाता है। उनकी उँगलियाँ पतली और लम्बी होती है, उनमें बड़े लम्बे लगभग सीधे चंगुल होते हैं।
इन पक्षियों में एक दूसरे वंशों से क्या सम्बन्ध है या अन्य जलपंकचारी पक्षियों के भी वंशों का परस्पर क्या सम्बन्ध है तथा उनके विभाग किन आधारों पर किस-किस रूपों में किये गये हैं, यह जटिल विषय है। किन्तु इनकी जानकारी इनकी साधारण पहचान के लिए, अत्यावश्यक नहीं कहीं जा सकती।
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1 टिप्पणियाँ
Aapne bahut acha likha hai es post मे
जवाब देंहटाएंऔर esi prakar ki jankari ke liye aaye
iucn क्या है की सम्पूर्ण जानकारी
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